चीन से तनातनी के बीच भारत ने एक एक करके चीन की कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखाना शुरू कर दिया है अब बहुत से लोग सवाल उठा रहे है की इससे चीन को क्या फर्क पड़ेगा ............ क्या अब चीन का होश ठिकाने आएगा? .........चलिए आज आपको बताते है आसान भाषा में......... की चीन को इससे फर्क पड भी रहा है की नहीं !
चलिए आज सबसे पहले बात करते है टेलिकॉम सेक्टर की........ इसमें चीन की एक बड़ी कंपनिया ज़ीटीई (ZTE) और हुवावे ( Huawei) को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए भारत उन्हें ब्लैकलिस्ट कर सकता है !
पहले समझते है हुवावे ( Huawei) है..... क्या और चीन के लिए इसके क्या माने है .......कहा जाता है कि इस कंपनी के चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से गहरे संबंध हैं। उधर, हुवावे का दावा है कि वह एक निजी फर्म है और उसके हजारों कर्मचारी उसे चलाते हैं। जबकि सच ये है की इसे चीन की ताकत का प्रतीक कहा जाता है !
30 जून को अमेरिका के फेडरेशन कम्यूनिकेशन कमीशन (FCC) ने चीन की कंपनी ज़ीटीई (ZTE) और हुआवेई ( Huawei) को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए उन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया है.......... अब इसका क्या असर पड़ेगा ...आप को समझाते है अमेरिकी कम्यूनिकेशन कमीशन या एफसीसी वह संस्था है,.... जो अमेरिका में इंटरनेट को रेग्युलेट करती है. यह एक स्वतंत्र संस्था है....... यह बैन सिर्फ इन कंपनियों पर ही नहीं, बल्कि इनकी सहयोगी या इन कंपनियों के इन्वेस्टमेंट वाली हर कंपनी पर लागू होगा..... इस फैसले के बाद एफसीसी के यूनिवर्सल सर्विस फंड के 8.3 बिलियन डॉलर मतलब 6198 करोड़ रूपये में से चीन की इन कंपनियों को एक भी पैसे का कारोबार नहीं मिलेगा. और ये बात सिर्फ अमेरिका की है ! वही अमेरिकी प्रतिबंधों के दायरे में ताइवान की कंपनी टीएसएमसी भी आ गई है जो हुवावे को चिप और अन्य जरूरी उपकरण मुहैया कराती है। दूसरी बड़ी बात अमेरिका में बैन से हुवावे की अमेरिकी तकनीकों तक पहुंच बहुत सीमित हो गई है। इन प्रतिबंधों के बाद के अब हुवावे के 5G तकनीक मुहैया कराने के वादे पर सवाल उठने लगे हैं।क्योकि चीन अपनी तकनीक नहीं बल्कि अमेरिका के तकनीक की नक़ल ज्यादा करता है!
अब अगर दुनियाभर में इन कंपनियों पर बैन के असर की बात करें, तो यकीनन 5जी के विस्तार को लेकर धक्का लगेगा. एशिया के कई देश, जैसे थाईलैंड, इंडोनेशिया, सिंगापुर आदि भी किनारा कर सकते है .ब्रिटेन में इसकी शुरुआत हो गई है और पीएम बोरिस जॉनसन हुवावे से किनारा करने जा रहे हैं। अब अगर सिर्फ भारत की बात कर ले तो इस कंपनी का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष बिज़नेस लगभग 10 billion यानि 7,46,7 करोड़ रूपये का होने वाला था
अब आप समझ गए होगे की चीन बैन के खिलाफ WTO (वर्ल्ड ट्रेड ओर्ग्नैजेशन ) में जाने की धमकी क्यों दे रहा है
हुवावे के बल पर वर्ष 2030 तक डिजीटल तकनीक की दुनिया पर राज करने का सपना देख रहे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को बड़ा झटका लगा है।........ लद्दाख में सीमा पर चल रहे भारी तनाव से दुनिया के विशालतम बाजारों में से एक भारत में चीनी कंपनी के लिए संकट पैदा हो गया है। यही नहीं पूरे विश्व में चीन विरोधी भावनाएं तेज होती जा रही हैं।.... इसका खामियाजा अब चीन को कही ना कही भुगतना पड़ सकता है ! ......इस वक्त देश में 5,97,4 करोड़ का चीन का निवेश है अगर इसी तरह चीन अड़ा रहा तो ये निवेश भी खतरे में पड़ सकता है इसके अलावा रेल सड़क , और न जाने कितनी परियोजनाए है जिसमे चीन अपना बिज़नेस खो देगा! तो अब तो आप समझ गए होगे की चीन की अगर दो कंपनियों को इतना नुकसान होने वाला है तो आने वाला वक्त चीन के लिए कितना कठिन होने वाला है !