तो इस हसीना ने बिगाड़े भारत और नेपाल के सम्बन्ध ?


 


आज नेपाल भारत से दूर और चीन से नजदीक हो चुका है दोनों देशो में रोटी और बेटी का सम्बन्ध रहा है आखिर क्या हुआ कैसे नेपाल जैसा देश चीन के इशारे पर भारत को आँख दिखाने लगा चलिए आप को बताते है पूरी बात आप को ये भी बतायेगे की आज नेपाल से बिगड़ते संबंधो पीछे कौन है वो हसीना ……..जिसने नेपाल को नक़्शे और रिश्ते बदलने को मजबूर कर दिया  ! 


नेपाल से रिश्ते बिगड़ने  शुरुआत राजीव गांधी के कार्यकाल में हुई थी। दरअसल, 1986 और 1989 के बीच सबकुछ अच्छा नहीं चल रहा था इसे सुधारने के लिए साल 1989 में जब राजीव के काठमांडू दौरे पर सोनिया के साथ पहुंचे तो माना जा रहा था कि इस दौरे से भारत-नेपाल के संबंधों में एक नई जान आएगी, दोनों देशों की कड़वाहटें खत्म हो जाएंगी, पर ऐसा हुआ नहीं.!......... हुआ यूँ ,की जब नेपाल यात्रा के दौरान राजीव गाँधी जब पशुपतिनाथ मंदिर पहुचे तो पुजारियों ने सोनियां को मंदिर के अन्दर प्रवेश नहीं करने दिया उनके अनुसार वो hindu नहीं थी राजा वीरेंद्र ने भी समझाने की कोशिश की पर पुजारी नहीं माने तो राजीव गाँधी बगैर पूजा किये वापस आ गए उसके बाद इस अपमान का बदले में  राजीव सरकार ने तीन महीने की आर्थिक नाकेबंदी कर दी  जिससे  नेपाल की  जनता के कष्ट बढ़ गए और जरूरी सामान बाज़ार से गायब हो गए क्योंकि नेपाल अधिकतर वस्तुओं के लिए भारत पर ही आश्रित था। इसके बाद राजीव सरकार ने रॉ की मदद से माओवादी नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड का उदय कराया और उस समय अमर भूषण जो चीफ ऑफ ईस्टर्न ब्यूरो ऑफ रॉ थे उनको एक नकली नाम जीवनाथन दे कर और  उनकी पहचान छिपाकर एक ऑपरेशन को अंजाम की जिम्मेदारी दी और वो ऑपरेशन था राजशाही का तख्ता पलटना और वही राजा वीरेन्द्र सिंह ने भारत के खिलाफ चीन से मदद मागी थी ..... आज नेपाल में इन्ही पुष्प कमल दहल प्रचंड के सहयोगी KP Sharma Oli प्रधानमंत्री हैं, जिनका झुकाव चीन की तरफ ज्यादा रहता है!


तो ये था इतिहास अब आते है वर्तमान में माना जा रहा है कि नेपाल ने तबसे भारत से दूरी बढ़ानी और तेज की, जब चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग अक्टूबर 2019 में भारत के बाद दो दिवसीय यात्रा पर नेपाल पहुंचे थे। उस दौरान नेपाल - चीन के बीच 20 सूत्रीय समझौते हुए, पर इन समझौतों का मुख्य बिंदु था नेपाल को रेलमार्ग द्वारा चीन से जोड़ना। काठमांडू को तिब्बत से जोड़ने के लिए 70 किलोमीटर लंबी रेललाइन का निर्माण किया जाना तय हुआ ताकि आयात-निर्यात के मामले में नेपाल की भारत पर निर्भरता समाप्त हो सके। नेपाल अभी आयात-निर्यात के लिए पूर्णतया भारत पर निर्भर है। इसी के साथ जिंगपिंग ने नेपाल में अपनी विश्वस्त युवा राजदूत होऊ यांगी को भेज रखा था जी हाँ यही है वो युवा हसीना जिसने नेपाल की नीति – रीति बदल कर रख दी!!


साल 2018 से नेपाल में चीन की राजदूत के रूप में काम कर रही होऊ यांगी को दक्षिण एशियाई मामलों का जानकार माना जाता है इससे पहले यांगी ने चीनी राजदूत के तौर पर पाकिस्तान में भी तीन साल बिताए हैं। पाकिस्तान में उनकी सफलता को देखते हुए उन्हें नेपाल भेजा गया..... नेपाल ने जबसे विवादित नक्शा को अपने हिस्से में शामिल किया है, तभी से दोनों देशों के बीच तल्खियां बढ़ी हैं। माना जा रहा है कि नेपाल की इस हिमाकत  के पीछे यांगी का ही हाथ है। उन्होंने ही पीएम ओली और नेपाल की संसद को इसके लिए तैयार किया।जानकारी के मुताबिक यांगी पीएम ओली के दफ्तर और उनके निवास पर भी बिना रोक टोक ही आती जाती हैं। यह भी कहा जा रहा है कि नेपाल की सत्तासीन पार्टी के जिस प्रतिनिधिमंडल ने नक्शे में संशोधन के लिए विधेयक बनाया, यांगी उसके संपर्क में भी थीं। यांगी के कूटनीतिक दिमाग का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उन्होंने पाकिस्तान में अपने एजेंडे को चलाने के लिए उर्दू भाषा सीखी।


हालांकि नेपाल में अब केपी शर्मा ओली की पार्टी ने उन्हें पद से हटाने के लिए बगावती तेवर अपना लिए हैं। तो फिलहाल चीन की ये चाल भी उलटी पड़ती दिख रही है !