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9 जुलाई को महाकाल उज्जैन के मंदिर में सब कुछ सामान्य था अचानक एक अधेड ऊम्र के शख्स ने पुलिस कस्टडी में चिल्लाना शुरु कर दिया “मै विकास दुबे हूँ कानपूर वाला इतना सुनते ही लोगो ने अपने मोबाइल से विडियो बनना शुरू कर दिया ! ऐसे कुछ न होता अगर 3 जुलाई की घटना न घटी होती तो शायद कोई नहीं जनता लेकिन अब पूरा देश जान गया था विकास दुबे कौन है और उसके चिल्लाने का कारण भी यही था ताकि लोग विडियो बना ले और उसका एनकाउंटर बच जाये लेकिन ऐसा हो न सका !
बिकरू हत्याकांड के मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे की शुक्रवार सुबह कानपुर एसटीएफ के साथ एनकाउंटर में मौत हो गई। एनकाउंटर कानपुर से महज 17 किलोमीटर दूर भौती नाम की जगह पर हुआ। कानपुर में यह एनकाउंटर सुबह 6.15 और 6.30 के बीच हुआ। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एसटीएफ के 4 जवान भी इस घटना में घायल हुए हैं। इनमें से दो गाड़ी पलटने से जबकि दो अन्य विकास की तरफ से की गई फायरिंग में जख्मी हुए हैं। बताया जाता है कि विकास दुबे हैलट हॉस्पिटल पहुंचने के पहले जिंदा था। हालांकि, उसकी हालत बेहद गंभीर थी। कुछ ही देर में उसने दम तोड़ दिया। घटना के वक्त विकास वही नीली धारी वाली फुल टी-शर्ट और लोअर पहने था, जो उसने गुरुवार को उज्जैन में गिरफ्तारी के वक्त पहने नजर आया था।
अब आपको विकास दुबे के इतिहास में ले चलते है 2001 का साल सूबे में राजनाथ सिंह की सरकार थी सरकार में राज्यमंत्री संतोष शुक्ल को मार डाला गया वो भी शिवली थाने के अन्दर इसमें नाम आया विकास दुबे का और कमाल बात ये थी इस हत्या कांड से गवाहों के मुकर जाने से विकास दुबे बच भी गया इसके अलावा प्रधान , जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चूका है ! दरअसल संतोष शुक्ल के खास आदमी लालन बाजपाई और विकास दुबे की वर्चस्व की लड़ाई को ले कर दुश्मनी हो गई जब संतोष शुक्ला लालन बाजपाई को बचाने के लिए थाने पहुचे तो वहां विकास ने उन्हें मार डाला सूबे में सरकार बदली और मायावती मुख्य मंत्री बनी बसपा से संतोष दुबे जिला पंचायत का सदस्य बना और अध्यक्ष भी अब उसकी बाहुबली वाली छवि बन चुकी थी और उसे संरक्षण मिलना शुरु हो गया था ! या यू कहिये की उसे गढ़ा जा रहा था एक ब्राह्मण बाहुबली बनने के लिए .....
इसके लिए कुछ राजनीतिक समीकरण समझिये उत्तर प्रदेश में 62 जिलो में 8 से 15 % तक ब्राह्मण है और सबसे ज्यादा 6 मुख्यमंत्री ब्राह्मण रह चुके है ! हरिशंकर तिवारी की उम्र और अमरमणि त्रिपाठी के जेल जाने के बाद ब्राह्मण बाहुबली की जगह खाली है इसी को भरने का प्रयास किया जा रहा था !
3 जुलाई जब इस बदमाश ने कानपूर के चौबे पुर गाव में 8 पुलिस वालो को घेर कर मार डाला था ! उसके बाद पुलिस इसके पीछे पड गई थी एक एक कर के इसके साथी मरे जा रहे थे लेकिन विकास दुबे बगैर परेशानी के 800 किलोमीटर दूर उज्जैन में जा पंहुचा ! बताया जाता है की वो हर साल सावन में महाकाल मंदिर आता रहा है और ये भी पता चला है इसके साथ और लोग भी थे ........ विकास से 8 घंटे तक पूछताछ की गई। इस पूछताछ की जानकारी अभी पुलिस ने आधिकारिक तौर पर नहीं दी। लेकिन, सूत्रों और रिपोर्ट्स के हवाले से कुछ बातें सामने आईं। बिकरू में मारे गए 8 पुलिसवालों में डीएसपी देवेंद्र मिश्रा भी थे। विकास के मुताबिक- डीएसपी को उसने इसलिए मारा क्योंकि वो उसे लंगड़ा कहते थे। और यह विकास को अपनी बेइज्जती लगती थी। यही वजह है कि विकास ने हत्या के बाद भी डीएसपी मिश्र का पैर कुल्हाड़ी से काट दिया था। विकास ने पुलिस को बताया कि एनकाउंटर के डर से उनसे बिकरू गांव में दबिश डालने गई पुलिस टीम पर फायरिंग की थी। उसने यह भी बताया कि और फोर्स नहीं आती तो वह सबूत मिटाने के लिए पुलिस वालों के शव जला देता, इसके लिए तेल भी मंगवाया था।गैंगस्टर ने बताया- पुलिस के लोग मेरे संपर्क में थे। उन्होंने दबिश की जानकारी दी थी। मैंने अपने साथियों को हथियार के साथ बुलाया था। घर पर 30 लोगों के लिए खाना बनवाया था। घटना के बाद मैंने सभी साथियों को अलग-अलग भागने को कहा था। उसने कहा- मुझे किए पर अफसोस है, पर मुझे गोली चलाने के लिए मजबूर किया गया था।
उसने महाकाल मंदिर को समर्पण के लिए क्यों चुना इसकी जाँच जारी है ! हो सकता है की उसने सोचा हो महाकाल उसे बचा लेगें पर शायद वो ये भूल गया था रावण भी महाकाल का भक्त था क्योकि महाकाल का न अदि ना अंत है और वो सबका है किसी एक का नहीं , पापियों के काल भी महाकाल है !