आपदा में अवसर ?करोना के नाम पर फ्रॉड !

 



 


 


आज हम लोग बात करेगें करोना के नाम पर हो रहे देश भर  में फ्रॉड की आप को बतायेगे किस तरह से  प्रधान मंत्री  के “ आपदा में अवसर “ के नारे को  ठगों ने अपना नारा बना लिया और करोना की आपदा को कैसे अपनी ठगी के अवसर में बदल लिया !


आज जब देश में करोना एक लाख प्रति दिन की रफ़्तार से बढ़ रहा है कुल मरीजो की संख्या लगभग 50 लाख पास पहुच रही है लेकिन इस महामारी में  भी कुछ लोग  ठगी से बाज नहीं आ रहे। चलिए आज आपको को रूबरू कराते है कुछ करोना के नाम पर होने वाले फ्रॉड से सबसे ज्यादा फ्रॉड के मामले कोरोना की रिपोर्ट को लेकर सामने आये ! इसमें निगेटिव लोगों को कोरोना पॉजिटिव बताकर लाखों रुपये ऐसा ही एक मामला पंजाब से सामने आया एक एनआरआइ ने बताया कि 26 मई को वह अपनी पत्नी व बेटे के साथ इंग्लैंड से अमृतसर लौटे। एक निजी होटल में खुद को क्वारंटाइन किया। कोविड-19 टेस्ट तुली लैब से करवाया। उनको और बेटे को पॉजिटिव बताया गया। 31 मई को ईएमसी अस्पताल में दाखिल कर लिया गया। कई बार कहने पर भी उनका दोबारा कोविड-19 टेस्ट नहीं करवाया गया। किसी तरह एक और निजी लैब से टेस्ट करवाया। रिपोर्ट निगेटिव आई। पूरी तरह पुष्टि के लिए किसी तरह से मेडिकल कॉलेज स्थित इंफ्लुएंजा लैब में टेस्ट करवाया, जिसमें रिपोर्ट निगेटिव आई। इससे साफ था कि तुली लैब व ईएमसी अस्पताल के बीच कुछ न कुछ गठजोड़ चल रहा था। उन्हें तीन लाख रुपये का बिल सौंप दिया गया।


वहीँ लखनऊ SGPGI में कोरोना जांच की फर्जी रिपोर्ट सामने आई. इस मामले में SGPGI की सिक्योरिटी कमेटी के चेयरमैन डॉ. एसपी अम्बेश की तरफ से FIR दर्ज कराई गई है. दरअसल बिहार का एक मरीज 6 अगस्त को सुबह करीब 10-11 बजे के आसपास संस्थान के कार्डियोलॉजी विभाग में आया था. मरीज को MICU में एडमिट किया जाना है. इसीलिए उसे और तीमारदार को कोरोना जांच कराने के लिए कहा गया. चंद घंटे बाद ही दोपहर करीब 2-3 बजे के आसपास तीमारदार अपनी और मरीज की जांच रिपोर्ट ले आया जिसमे कोरोना नेगेटिव था. ये जांच रिपोर्ट हूबहू SGPGI की रिपोर्ट जैसी थी. डॉक्टर को शक हुआ कि इतनी जल्दी कैसे जांच रिपोर्ट आ गयी. इसके बाद डॉक्टर ने रिपोर्ट पर लिखे रजिस्ट्रेशन नंबर को चेक किया तो पता चला कि रिपोर्ट ही फर्जी है. वैसा कोई रजिस्ट्रेशन नंबर ही नहीं है. साफ जाहिर है कि कुछ पैसे लेकर बिना जांच के ही रिपोर्ट थमा दी गयी होगी. 


आज किसी भी इलाज के लिए सबसे पहले कारोना जाँच के लिए बोला जाता है इसी का फायदा उठा कर कई लोग लोगो को बगैर जाँच किये फर्जी रिपोर्ट पकड़ा देते है SGPGI  डॉ. एसपी अम्बेश कहते हैं कि कोरोना की एक फर्जी रिपोर्ट कई लोगों की जान खतरे में डाल सकती है. कई लोगों को कोरोना संक्रमित कर सकती है. असल मे किसी को भर्ती करने से पहले उसकी कोरोना जांच का मकसद ये है कि अगर व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है तो पहले ही पता चल जाये. फिर उसे नॉन कोविड अस्पताल की जगह कोविड अस्पताल में भर्ती किया जा सके. लेकिन अगर कोई कोरोना पॉजिटिव इस तरह की फर्जी रिपोर्ट लगाकर नॉन कोविड अस्पताल में भर्ती हो जाये तो वो उस जगह के कई अन्य मरीजों, डॉक्टर, स्टाफ समेत कई लोगों को संक्रमित कर सकता है.


दिल्ली में एक नई तरीके का फ्रॉड सामने आया दिल्ली के स्पीकर राम नाथ गोयल के भतीजे Puneet Agarwal ने अपने FATHER इन LAW जो कोरोना पॉजिटिव थे उनके लिए सोशल मीडिया में blood plasma के लिए message डाला इसके बाद उनके पास एक फोन आया जिसमे उसने अपना नाम राम ठाकुर बताया और अपने आप को RML हॉस्पिटल का डॉक्टर बताया उसने कहा वो कारोना से ठीक हो चूका है और प्लाज़मा दे देगा फिर उसने पैसो की मांग की जब पैसे ट्रान्सफर हो गये तो फ़ोन स्विच ऑफ हो गया वो तो VIP मामला था  तो पुलिस ने आरोपी को पकड लिया जो की Abdul Karim Rana निकला उसने काबूल किया की उसने हजारो लोगो को ऐसे ठगा है दिल्ली पुलिस के MS Randhawa, ने कहा की लोगो को सतर्क रहने की जरूरत है ! वही दिल्ली में 21,000 packets फेक ब्लड प्लाज़मा के पकडे गए है ! दिल्ली की हौज खास थाना पुलिस ने एक डॉक्टर कुश पराशर और उसके साथी को गिरफ्तार किया है. ये दोनों कोरोना की एक बड़े पैथ लैब की नकली रिपोर्ट तैयार कर लोगों को दे देता था वो अब तक 75 लोगो को ऐसी रिपोर्ट दे चूका है !


वही दवाओ के नाम पर भी बहुत फ्रॉड सामने आ चुके है एक किसी दवा के बारे में क्लेम किया जाता है की इससे करोना ठीक हो जाता है अब इससे पहले वो प्रमाणिक हो की वाकई उससे कारोना ठीक होता है या नहीं उसकी कालाबजारी शुरू हो जाती है और डाक्टरों और दवाई बनने वाली कंपनी की मिली भगत से लोगो को करोडो का चूना लग जाता है ! और वैसे भी प्राइवेट हस्पताल कोरोना के नाम पर लाखो का बिल थमा रहे है ! इस लिए जहाँ तक हो सके सतर्क रहिये स्वास्थ रहिये !