क्या भारत में 7 करोड़ से ज्यादा करोना मरीज है ? क्या कहता है सीरो सर्वे !


देश में कोविड-19 के 97,570 नए मामले सामने आए हैं इसका मतलब है की अब हम लगभग 1 लाख रोज नए मामले तक पहुच , देश में  कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 47 लाख के पार हो गई। वहीं इस संक्रमण से अब तक 36,24,196 लोग ठीक हो चुके हैं और देश में स्वस्थ होने की दर 77.77 फीसदी है। वहीं पिछले 24 घंटे में 1,201 और संक्रमितों की मौत के बाद मृतकों का आंकड़ा बढ़कर 77,472 हो गई। वही दुनिया की बात करें तो दुनिया में कोरोना के मामले 2.86 करोड़ के पार, अब तक 9.19 लाख लोगों की मौत चुकी है!


अब यहाँ से कई सवाल उठ रहे है  पहला क्या हमें अब ये भयानक आकंडे अब नहीं डराते ? जिस तेजी से करोना का संक्रमण फ़ैल रहा है उसका कारण क्या है क्या ज्यादा टेस्टिंग या  कम्युनिटी स्प्रेड ?


क्या कारोना वायरस ने अपने आप को बदल लिया है ! अब क्या होगा ? अभी एक और पीक आनी बाकी है ? आखिर कब तक चलेगा करोना ?


सब से पहले क्या हमने इन आकड़ो से डरना छोड़ दिया है या हमें कारोना के साथ जीना आ गया है? ये वाकई एक आश्चर्य का विषय है की हम लोग पहले कुछ हज़ार के आंकड़ो को लेकर चर्चा करते पाए जाते थे आज हम 1 लाख रोज ......के पास पहुच रहे है यानि दुनिया में नंबर 2 लेकिन अगर आप देखे तो इससे लोगो को कोई फर्क नहीं पड रहा जब तक उसके किसी जानने वाले या घर के पास करोना होने की खबर न आ जाये ! क्या वाकई लोगो  ने कोरोना से डरना छोड़ दिया है ? आइये समझते है इसे आसान भाषा में ! इस स्थिति महामारी थकान (Pandemic Fatigue) और आपदा थकान (Disaster Fatigue) कहा जाता है. यानी वो स्थिति जब किसी संकट का सामना करते-करते आपका मन और शरीर दोनों पूरी तरह से थक जाते हैं इसी थकावट का नतीजा है कि पूरी दुनिया में लॉकडाउन हटते ही लोग बड़ी संख्या में बाहर निकल रहे हैं. लोगों के मन में इस बात का जरा भी डर नहीं है कि उन्हें भी कोरोना वायरस का संक्रमण हो सकता है जबकि भारत में इसके कारण आर्थिक ज्यादा है रोजी रोटी का सवाल उन्हें बाहर निकलने पर मजबूर कर रहा है! अब क्या हमें  हमें कारोना के साथ जीना आ गया है तो सच ये है की हमें जैसे करोना के साथ जीना चाहिए हम में ज्यादा तर उस किसी भी सावधानी का पालन नहीं कर रहे और  अगर विशेषज्ञों की माने तो ये एक भयावह स्थिति है !


अब बात  जिस तेजी से करोना का संक्रमण फ़ैल रहा है उसका कारण क्या है क्या ज्यादा टेस्टिंग या  कम्युनिटी स्प्रेड ? पहले बात टेस्टिंग की देश में प्रतिदिन कितने टेस्ट हो रहे है इसका आंकडे उपलब्ध नहीं है अनुमानता लगभग 10 लाख के आसपास टेस्टिंग रोज हो रही है जिसमे से लगभग 1 लाख लोग संकर्मित पाए जाये रहे है तो ये भी बात सही है की भारत में अब टेस्टिंग की रफ्रतार बड़ने से करोना के केसेस बढ़ रहे है !


अब बात कम्युनिटी स्प्रेड की तो ये सच है हमारे  देश में कम्युनिटी स्प्रेड हुआ है और हो रहा है इस को इस बात से समझते है कोरोना वायरस को लेकर देश के पहले (Sero Survey) सीरो सर्वे के आंकड़े जारी कर दिए गए हैं. इंडियन काउंसिल फॉर ​मेडिकल रिसर्च यानी ICMR के पहले राष्ट्रीय सीरो सर्वे के मुताबिक इस वर्ष मई में देश में 64 लाख लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके थे.


 


ये सर्वे पूरे देश में 11 मई से 4 जून के बीच किया गया. 21 राज्यों के 70 जिलों में सर्वे किया गया जिनमें 75% ग्रामीण क्षेत्र थे जबकि 25% शहरी क्षेत्रों में ये सर्वे किया गया. वायरस के संक्रमण की दर का पता लगाने के लिए 28 हजार लोगों के ब्लड सैम्पल्स (Blood Samples) टेस्ट किए गए. इस सर्वे में 18 से 45 वर्ष के 43 प्रतिशत लोगों कोरोना की एंटीबॉडीज ( Antibodies) पाई गई. 40 से 60 वर्ष के 39 प्रतिशत लोगों में ये एंटीबॉडीज मिली और 60 वर्ष से ऊपर के 17 प्रतिशत लोगों में कोरोना की एंटीबॉडीज पाई गई. सीरो सर्वे के इस गणित के हिसाब से इस वक्त देश में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 7 करोड़ 47 लाख से ज़्यादा हो सकती है. इस गणित के हिसाब से आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि ग्रामीण इलाकों के 70 प्रतिशत लोगों में कोरोना का संक्रमण हो चुका था. अगर इसे हम देश पर लागु करें तो  मतलब 64 लाख लोग कोरोना के शिकार पाए गए! हम आपको याद दिलाना चाहेंगे कि 20 जून तक भारत में कोरोनावायरस के कुल मामले तकरीबन 4 लाख थे और तब तक 13 हजार लोगों लोगों की मौत हुई थी. उस वक्त किए गए सर्वे में भारत में 64 लाख लोग संक्रमित पाए गए. आपको बताते है  कि सीरो सर्वे क्या होता है और ये क्यों किया जाता है. जब किसी भी देश में महामारी यानी Pandemic फैलता है तो सीरोलॉजिकल सर्वे से पता लगाया जाता है कि कितनी जनसंख्या में संक्रमण कितना फैल चुका है. सीरो सर्वे में लोगों के ब्लड टेस्ट किए जाते हैं. जिससे उनमें एंटीबॉडी बनने का पता चलता है. शरीर में कोरोना लड़ने के लिए एंटीबॉडी तभी बनती हैं जब आपको कभी कोरोना हो चुका हो. यानी ये सर्वे उन लोगों पर किया गया जिन्हें पता नहीं था कि उन्हें कभी कोरोना हुआ है मतलब देश में लगभग 40% लोग ये बगैर जाने की उन्हें करोना हुआ है ठीक भी हो गये ! अब ये बात अच्छी भी है बुरी भी अच्छी इस लिए की लोगो में इस रोग से लड़ने की क्षमता का विकास हुआ बुरी इस लिए की ना जाने कितने लोगो को इन लोगो ने संक्रमित कर दिया होगा !


अब बात क्या कारोना वायरस ने अपने आप को बदल लिया है ! तो डॉ गुलेरिया कहते है ये करोना वायरस ने अपने आप को ‘म्यूटेट किया है ‘म्यूटेशन' का अर्थ होता है  किसी भी कोशिका में आनुवंशिक(जेनेटिक) परिवर्तन लेकिन ये उसके बाद हल्का पड़ा है आंकड़ों के अनुसार कोविड-19 से होने वाली मृत्यु दर में कमी आई है और अब यह 1.66 फीसदी है। इसके अनुसार देश में फिलहाल संक्रमण के 9,58,316 मरीजों का इलाज चल रहा है जो संक्रमितों की कुल संख्या का 20.56 फीसदी है इस मतलब है ये देश के लिए अच्छी खबर है !


अब सवाल ये क्या अभी एक और पीक आनी बाकी है ? आखिर कब तक चलेगा करोना ? तो डॉ गुलेरिया के अनुसार अभी आंकड़े और बडेगे क्यों की अभी ग्रामीण इलाको में उतनी टेस्टिंग नहीं हो पा रही है और आनेवाला ठण्ड और त्योहारी सीजन इसमें और इजाफा कर सकता है तो उनके अनुसार एक पीक और आ सकता है ! और अगर विशेषज्ञों की माने तो 2021 में मध्य तक स्थिति कुछ काबू में आने की संभावना है !


चलिए चलते चलते आप को बता दे गूगल पर सबसे ज्यादा करोना की रिंग टोन हटाने का तरीका  सर्च करने वाले देश के लोगो को कारोना को हटाने का तरीका सर्च करने की जरूरत है !