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बिहार में बहार है... या नहीं ये तो नही पता पर फिर एक बार नीतीशे कुमार है। ये आखिरकार तय हो गया
बिहार ने एक बार फिर से जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार पर भरोसा जताते हुए लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया है। शुरुआत से बिहार का चुनाव असमंजस भरा रहा ! एक्ज़िट पोल ने जेडीयू और बीजेपी के दफ्तर पर सन्नाटा पसरा दिया था तो वही आरजेडी और महागठबंधन ने जश्न की तैयारी कर ली थी !
बिहार विधानसभा चुनाव की मतगणना में शुरुआत से ही असमंजस की स्थिति थी । सुबह जहां महागठबंधन की बढ़त थी वहीं 10 बजते-बजते रुझान एनडीए के पक्ष में आने लगे। एनडीए और महागठबंधन के बीच बढ़त का फासला बढ़ा तो भाजपा और जद यू के दफ्तरों का सन्नाटा खत्म हुआ और जश्न मनना शुरू हो गया। लेकिन शाम होते-होते यह फासला घटा और एक बार फिर राजद दफ्तर और तेजस्वी के घर की रौनक बढ़ गई। एनडीए और महागठबंधन के बीच बढ़त में छह-सात सीटों का फासला कभी घट तो कभी बढ़ रहा था । बिहार में सरकार कौन बनाएगा यह तस्वीर अभी तक साफ नहीं हो पा रही थी लेकिन सरकार बनाने की उम्मीद के साथ कभी यहां तो कभी वहां जश्न मनने का सिलसिला लगातार जारी था। इस उम्मीद का सिलसिला आखिर रात 2 बजे खत्म हुआ जब सारे परिणाम घोषित कर दिये गए !
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 125 सीटें हासिल कर पूर्ण बहुमत प्राप्त कर लिया है। विपक्षी महागठबंधन को इस चुनाव में 110 सीटें हासिल हुई हैं। अंतिम तौर पर घोषित नतीजों में भाजपा को 74, जदयू को 43, राजद को 75, कांग्रेस को 19 सीटें प्राप्त हुई हैं। भाकपा माले को 12 और अन्य के खाते में 8 सीटें गई हैं। ताजा चुनावी नतीजों के साथ ही एक बार फिर से एनडीए की अगुआई में नीतीश कुमार की सरकार बननी तय हो गई है।
अब बहस और मंथन इस बात पर चल रहा है की जो जीता तो क्यो जीता और जो हारा तो क्यो हारा ! चलिये अब आपको समझाते है की एनडीए क्यो जीता और महागठबंधन क्यो हारा और इस सब मे जनता को क्या मिला ?
पहले बात महागठबंधन की तो प्रथम दृष्टिया बिहार में कांग्रेस महागठबंधन की कमजोर कड़ी साबित हुई लगती है बिहार विधानसभा चुनाव में 70 विधानसभा सीटों पर चुनावी मैदान में उतरी कांग्रेस करीब 19 सीटों पर जीत हासिल की और इस तरह से वह महाठबंधन में कमजोर कड़ी दिखाई देती है। कुल उम्मीदवारों के मुकाबले सीटें जीतने की दर के मामले में पार्टी अपने सहयोगियों राजद और वाम दलों से काफी पीछे रह गई है। दूसरा बड़ा कारण असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम की पांच सीटों पर हुई जीत है. यह जीत तेजस्वी यादव और संपूर्ण महागठबंधन के लिए करारा झटका साबित हुई है. वैसे तो ओवैसी की पार्टी ने पांच सीटें जीती हैं, लेकिन तेजस्वी यादव को 15 सीटों का नुकसान पहुंचाया है.
अब बात एनडीए की नितीश कुमार 15 साल की सत्ता विरोधी लहर तो झेल रहे थे ही ऊपर से घर के 'चिराग' से उनके किले में आग और लग गई है जी हम बात कर रहे है चिराग पासवान की, अगर आकड़ों की माने तो बिहार चुनाव में 30 से 40 सीटों पर एलजेपी ने जेडीयू को नुकसान पहुंचाया है! वरना शायद तीन चौथाई बहुमत से आता!
अब बड़ा सवाल की जनता को क्या मिला ! तो जनता को मिलता भी क्या वादो के सिवा!
एक महागठबंधन के दिल जले नेता ने ठीक ही कहा है शायद बिहार की जनता को को नौकरियाँ नहीं वैक्सीन चाहिए !