शाहीन बाग की अपर सफलता के बाद एक बार फिर एक और आंदोलन की तैयारी है अभी बार पंजाब के किसान के कंधे पर बंदूक है!
हमने बचपन से पढ़ा है की भारत एक कृषि प्रधान देश है पर पता नहीं क्यो इस बिल से केवल पंजाब के किसानो को क्यो समस्या हो रही है क्या बाकी देश के मे किसान नहीं है या उन्हे इस बिल से कोई परेशानी नहीं है ! कहीं इसका कारण साल भर बाद होने वाले पंजाब के चुनाव तो नहीं ? या 3642 cr की सरकार की कमाई जो इन किसानो से वसूली जाती है या बिचौलियों का खतम होता साम्राज्य?
सच पूछे तो जैसे CAA मे भारत के मुसलमानो से बिल का कोई लेना देना नहीं था उसी तरह से इस बिल का एमएसपी से कोई लेना देना नहीं है ! सरकार कहती है कि खरीद-बिक्री की मौजूदा व्यवस्था में किसी तरह के बदलाव की बात नया बिल नहीं करता तो समस्या कहाँ है ? किसान की अगुवाई काँग्रेस कर रही है तो स्वागत आम आदमी पार्टी कर रही है इस पूरे परिदृश्य से अकाली दल गायब है जिन्होने मंत्री पद छोड़ दिये !
वही दूसरी ओर बीजेपी ने भी कमर कसनी शुरू कर दी है भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व ने पंजाब और हरियाणा की प्रदेश इकाइयों को किसानों के आंदोलन को लेकर लगातार रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है। राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ किसानों के आंदोलन पर नजर रखे हुए हैं। किसान नेताओं से भी संपर्क कर तीनों किसान कानूनों को लेकर गलतफहमी को दूर करने की तैयारी हो रही है। भाजपा ने अपने किसान मोर्चा को भी इस कार्य में लगाया है। किसानों के बीच जाकर के कानूनों से जुड़े प्रावधानों को समझाने का निर्देश दिया गया है।
अब विपक्ष मे काँग्रेस के सुरजेवाला से पवन खेड़ा तो उधर आम आदमी पार्टी के संजय सिंह कहते है की बस एमएसपी की बात है आप बिल मे डाल दीजिये जो एमएसपी से कम खरीदेगा उसे हम सज़ा देगे !
क्या अभी तक किसान एमएसपी पर बेच रहा था, नहीं ! इस बिल से हुआ क्या इससे ये हुआ कि पंजाब का किसान बगैर किसी रोक टोक के अपना अनाज दिल्ली मे व्यापारी या बड़े स्टोर को बेच सकता है ! जबकि पहले किसान की मजबूरी होती थी कि अपने इलाके की मंडी मे गिने चुने आढ़तियो के हाथ बेचने की ! फिर भी इसका विरोध कर रहे है !
अब सवाल एक तरफ तो काँग्रेस की पंजाब सरकार इस बिल को लागू करने से माना कर रही है तो समस्या क्या है ! दूसरी तरफ ये तो राज्य सरकार भी कर सकती है की एमएसपी से कम पंजाब मे कोई खरीद नहीं होगी लागू करिए देश के सामने उदाहरण प्रस्तुत कीजिये !
जबकि सच ये है की राज्य सरकार सिर्फ मंडी शुल्क वसूलती है और खरीद केंद्र की ऐजसिया करती है बाकी फसल बिचौलिये आउने पाउने खरीदते है बाद मे दाम बढ्ने पर मुनाफा कमाते है!
अब सवाल ये है है कि किसान चाहते क्या है किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी) पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष सुरजीत सिंह फूल ने कहा कि बातचीत के लिए रखी गई शर्त किसानों का अपमान है. हम बुराड़ी कभी नहीं जाएंगे. बुराड़ी ओपन पार्क नहीं है एक ओपन जेल है. उन्होंने कहा कि, '' बुराड़ी जेल जाने की बजाए हम दिल्ली में एंट्री के पांच रास्तों का घेराव करेंगे. हमारे पास चार महीने का राशन है तो हमारे लिए चिंता की बात नहीं है. हमारी ऑपरेशन कमेटी आगे का फैसला लेगी.' यानि एक और शाहीन बाग के लिए दिल्ली को तैयार रहना चाहिए लेकिन अबकी बार सुपीम कोर्ट का शाहीन बाग का फैसला और महामारी अध्यादेश सरकार के पास है !
वहीं सरकार का कहना है कि वह किसानों से बातचीत कर कृषि से जुड़े तीनों कानूनों की हर गुत्थी सुलझाने को तैयार है। लेकिन बातचीत सड़क पर नहीं हो सकती