क्रिसमस पर क्यों लगाया जाता है यह ट्री? जानिए कुछ अनोखी बातें : Bhawana




यह केवल उत्सव हैं जो ज़िन्दगी में रौशनी लाते हैं, और एक ऐसा त्योहार है क्रिसमस ।  हर साल, 25 दिसंबर को यीशु मसीह और क्रिस्मस का जन्म पूरे विश्व में मनाया जाता है।  बाइबल की मान्यताओं के अनुसार, ईसा मसीह को ईश्वर का पुत्र माना जाता है।  यह दिन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दुनिया में सबसे अधिक धर्म का पालन करने वाले यीशु मसीह के जन्म की स्मृति में है।  यीशु मसीह को नासरत के यीशु के रूप में भी जाना जाता है जो मैरी और जोसेफ के बेथलेहम में पैदा हुआ था।  हालाँकि यीशु के जन्म का सही महीना और तारीख ज्ञात नहीं है, 336 ईस्वी के दौरान रोम में क्रिसमस मनाया गया था।  1870 में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने क्रिसमस दिवस को एक संघीय अवकाश के रूप में घोषित किया। 
मसीह का जन्म ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह माना जाता है कि भगवान ने अपने पुत्र को लोगों को उनके पापों से राहत देने के लिए बलिदान के रूप में धरती पर भेजा था।  यह बलिदान मसीह के क्रूस को दर्शाता है।

बाइबिल की कहानी के अनुसार, क्रिसमस स्टार ने तीन बुद्धिमान पुरुषों को, शिशु यीशु को निर्देशित किया।  वास्तव में, क्रिसमस baubles, माल्यार्पण, चमकते सितारे, बंडा, कैंडी के डिब्बे और परी रोशनी हमें एक खुश और उत्सव की जीवंतता देती है और उत्सव की भावना में लाती है।  इनमें से प्रत्येक सजावट का अपना महत्व है और शांति और सद्भाव का प्रतीक है।

हर साल 25 दिसंबर को ईसाई धर्म का पावन त्यौहार क्रिसमस मनाया जाता है। इस दिन क्रिसमस ट्री को घरों और चर्च में सजाने का रिवाज है। मगर क्या आप जानते हैं कि आखिर हर साल 25 दिसंबर को ही क्रिसमस क्यों मनाया जाता है? कैसे हुई क्रिसमस त्यौहार की शुरुआत? इस दिन क्रिसमस ट्री क्यों लगाया जाता है? चलिए आज christmas के मौके पर हम आपको इसके पीछे की वजह, मान्यता व कहानी के बारे में बताते हैं। 

ईसा मसीह के जन्म की कोई वास्तविक तारीख का प्रमाण या तथ्य नहीं है लेकिन फिर भी 25 दिसंबर को लोग बहुत खुशी के साथ मनाते हैं। इस दिन गिरिजा घरों में प्रार्थना भी की जाती है। यह बात बहुत दिलचस्प है कि सांता क्लॉज की कहानी का ईसा मसीह के जन्म के साथ कोई संबंध नहीं है। 
ऐसी मान्यता है कि प्रभु यीशु का जन्म क्रिसमस के पेड़ के नीचे हुआ था। उनके जन्म पर स्वर्ग दूत ने आकर उनकी मां मरियम और उनके पिता को यीशु के जन्म की शुभकामनाएं दीं और उस पेड़ को रोशनी से खूब सजाया। तभी से लोग हर साल प्रभु यीशु के जन्मदिन के उपलक्ष्य में क्रिसमस-ट्री सजाने लगे। क्रिसमस ट्री को सदाबहार फर (सनोबर) के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह एक ऐसा पेड़ है जो कभी नहीं मुरझाता और बर्फ में भी हरा-भरा रहता है।

क्रिसमस पर ट्री लगाने की प्रथा मिस्त्रवासियों, चीनियों व हिब्रू लोगों ने की थी। हालांकि यूरोप वासी भी इस सदाबहार पौधे को घर में सजाते हैं। उनका मानना है कि इससे बुराई और नकारात्मक वाइब्ज़ घर से दूर रहती हैं। 
एक और मान्यता के अनुसार, हजारों साल पहले उत्तर यूरोप में क्रिसमस के मौके सनोबर के पेड़ को सजाने की शुरूआत हुई थी। तब इसे चेन की मदद से घर के बाहर लटकाया जाता था। ऐसे लोग जो पेड़ खरीद नहीं सकते थे वे लकड़ी के पिरामिड का आकार देकर क्रिसमस ट्री के रूप में सजाते थे।
दुनिया भर में क्रिसमिस सैलिब्रेशन 25 दिसंबर को की जाती है लेकिन जर्मनी में 24 दिसंबर को ही इससे जुड़े समारोह मना लिए जाते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि चौथी सदी में तुर्किस्तान के मीरा नामक शहर के बिशप संत निकोलस इस दिन गरीब बच्चो को तोहफे और मीठाइयां देते थे। उसी दिन से सांता क्लॉज का चलन शुरू हुआ।
अमेरिका में क्रिसमस बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यहां पर हर साल 20 हजार से भी ज्यादा सांता क्लॉज बनते है जो बच्चों को गिफ्ट्स देते हैं। 

आइए इसी तरह मनाएं ख़ुशी ! MERRY CHRISTMAS .