दीपावली लक्ष्मी पूजा का त्योहार है। ये मनाया इसलिए जाता है क्योंकि इस दिन भगवान राम वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे थे। कई लोगों के मन में सवाल उठता है कि अगर भगवान राम अयोध्या से लौटे तो फिर दीपावली पर माता लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है? हम बताते हैं।
दरअसल, दीपावली की कोई एक कहानी नहीं है। अलग-अलग कालखंडों में अलग-अलग कारणों से भी दीपावली मनाई गई है। लक्ष्मी पूजा इसलिए इसकी कहानी ही दीपावली की पहली कहानी है। फिर छोटी दिवाली ,नरक चौदस या नरकासुर’ का वध ,गोवेर्धन पूजा , चित्रगुप्त पूजा,
तो ये समझिये ये त्योहारों का त्यौहार है !
चलिए आपको बताते है कालांतर में तीनों लोकों में दानवों का अत्याचार बढ़ने लगा और उनका तीनों लोकों में आधिपत्य हो गया. इसके चलते राजा इंद्र का सिंहासन भी छिन गया. इसके बाद घबराए देवतागण भगवान विष्णु की शरण में पहुंचे. इस पर भगवान ने उन्हें समुद्र मंथन करने की सलाह दी और समुद्र मंथन से निकलने वाले अमृत के पान का कहा. इससे देवता अमर हो जाएंगे और वे दानवों को हराने में सफल होंगे. समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास की अमावस्या को माँ लक्ष्मी प्रकट हुई इस लिए लिए लक्ष्मी पूजन होता है !
द्वापर में नरकासुर नाम का एक असुर था उसका नाम ‘नरकासुर’ इसीलिये पड़ा था क्योंकि वह जहाँ भी जाता था, वहाँ लोगों को कष्ट देकर उस जगह को नरक बना देता था।उसका वध छोटी दिवाली के दिन श्री कृष्ण के पत्नी सत्यभामा ने किया था मरते समय जब उससे पूछा गया, कि अब तुम्हारी आखिरी इच्छा क्या है? तब उसने कहा, ‘मेरी आखिरी इच्छा है कि मेरी मृत्यु सबके जीवन में प्रकाश लाये। ’तो फिर सभी लोगों ने दिए जलाए, जितने हो सके उतने अधिक दिए जलाए, जीवन का उत्सव मनाया, सभी कड़वाहट भूलकर जीवन को उल्लासित होकर मनाया और इसी तरह दिवाली का जन्म हुआ।
वही काली पूजा कार्तिक मास में खास तौर पर बंगाल, उड़ीसा एवं असम में मनाया जाता है। यह पूजा कार्तिक मास की अमावस्या जिसे दीपनिता अमावस्या भी कहते हैं उस दिन की जाती है। काली पूजा को श्यामा पूजा भी कहते हैं। बंगाली परंपरा के अनुसार दिवाली को काली पूजा भी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन मां काली 64,000 योगिनियों के साथ प्रकट हुई थीं और रक्तबीज जैसे राक्षसों और दुष्टों का संहार किया था। ऐसा माना जाता है कि आधी रात को मां काली की विधिवत पूजा करने से मनुष्य के जीवन की सारी दुख और पीड़ाएं शांत हो जाती है। मां काली की पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है. इसे यम द्वितीया (Yam Ditiya) भी कहते हैं. इस शुभ दिन चित्रगुप्त की पूजा भी की जाती है
ये तो आप जानते ही है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे।अयोध्यावासियों का हृदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से हर्षित हो उठा था। श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब से आज तक भारत के लोग प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष और उल्लास से मनाते हैं। भारतीयों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है और असत्य की हार होती है।
ये थी त्योहारों के त्यौहार की कहनियाँ आप सभी को दिवाली की शुभ कामनाये