2035 से अंतरिक्ष में बनेगी Solar Energy

 

ऊर्जा हमारे जीवन की लाइफ लाइन है बगैर इसके मानव जीवन की कल्पना मुश्किल है ! आज के समय में हम ऊर्जा के लिए पेट्रोलियम पदार्थो पर  निर्भर है और ये भी स्थाई नहीं है ! हर आने वाले दिन के साथ ये भंडार कम  होता जा रहा है इसके अलावा इसके इस्तेमाल से जो प्रदूषण  हो रहा है वो भी चिंता का विषय है ! और ये मॅहगा  सौदा भी है ! इसी लिए भारत में अब  Solar Energy में  अपनी क्षमताओं  का विकास कर रहा है और आम जन  तक भी पंहुचा  रहा है इसी वजह से अब 2 kw solar plant price घट  के  2 लाख तक आ गया है !लेकिन इससे भी आगे अब दुनिया ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रही है की एक झटके में दुनिया भर की ऊर्जा के समस्या सॉल्व हो जाएगी हम जल्द ही अंतरिक्ष से सोलर एनर्जी इकट्ठा कर पृथ्वी पर माइक्रोवेव्स के जरिए बिजली की पूर्ति कर सकते हैं।

2035 से अंतरिक्ष में बनेगी Solar Energy

 ब्रिटेन के स्पेस एनर्जी इनिशिएटिव (SEI) के को-चेयरमैन मार्शियन सोल्ताऊ के मुताबिक, यह 2035 तक संभव हो सकता है। फिलहाल उनकी टीम प्रोजेक्ट 'कैसिओपेआ' पर काम कर रही है, जिसमें धरती की उच्च कक्षा में बड़े-बड़े सैटेलाइट्स भेजे जाएंगे।

रिपोर्ट के अनुसार, उच्च कक्षा में भेजे जाने वाले सैटेलाइट्स सोलर एनर्जी पैदा करेंगे और उसे पृथ्वी की ओर भेजेंगे। सोल्ताऊ कहते हैं कि इस प्रोजेक्ट की क्षमता असीमित है। सैद्धांतिक रूप से यह 2050 में दुनिया की सारी ऊर्जा की सप्लाई कर सकता है।


दरअसल, अंतरिक्ष में सूर्य की एनर्जी सप्लाई काफी ज्यादा है और पृथ्वी की उच्च कक्षा में बड़े सैटेलाइट्स के लिए जगह भी बहुत है। पृथ्वी की जियोस्टेशनरी ऑर्बिट (भूस्थैतिक कक्षा) के चारों ओर एक पतली पट्टी को हर साल 100 गुना से ज्यादा सोलर एनर्जी मिलती है। इतनी ऊर्जा धरती पर इंसानों द्वारा 2050 में इस्तेमाल करने का अनुमान है।

अब ये होगा कैसे तो सुनिए इस प्लांट को बनाने का पूरा काम रोबोट करेंगे। ब्रिटेन का लक्ष्य 2035 की शुरुआत में धरती पर बिजली पहुंचाना होगा। यह पावर प्लांट कई मील लंबा हो सकता है। इसे अंतरिक्ष की कक्षा तक पहुंचाने के लिए स्पेसएक्स के स्टारशिप के आकार के 300 रॉकेट की जरूरत होगी। एक बार बनने के बाद यह सूर्य के साथ-साथ पृथ्वी का लगातार 36,000 किलोमीटर का चक्कर लगाएगा। यह प्लांट धरती पर काम करने वाले सोलर पावर प्लांट की तरह ही सोलर एनर्जी इकट्ठा करेगा।

अंतरिक्ष से सोलर ऊर्जा को धरती पर लाने के लिए धरती पर एक विशाल एंटीना लगाना होगा, जिसे रेक्टेना कहा जाता है। यह रेक्टेना विशाल खुली जाली की तरह होगा, जिसमें कई छोटे एंटीना लगे होंगे। ये एंटीना अंतरिक्ष से भेजी गई माइक्रोवेव रेडिएशन अवशोषित करेंगे और इलेक्ट्रिकल एनर्जी में परिवर्तित करेंगे। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस रेडिएशन से लोगों को कोई खतरा नहीं होगा।