राम मंदिर में शंकराचार्य टूल किट और सारे जवाब !





 जब कुछ जब राम मंदिर विरोधियो को कुछ नहीं मिला तो कराचार्य टूल किट ले आये ! ये भ्रम फैलाया जा रहा है की शंकराचर्या विरोध में है शास्त्र सम्मत प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो रही है !मंदिर अभी बना नहीं है ,अधूरे मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा नहीं होती वगैरा -वगैरा  तो आपको बता दे कि सोमनाथ मंदिर का निर्माण जारी था। लेकिन उससे पूर्व ही तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के हाथों मंदिर में शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। इसके बाद साल 1965 में मंदिर पूरी तरह तैयार हो सका था।तब सोमनाथ ट्रस्ट के तत्कालीन अध्यक्ष महाराजा जामसाहेब दिग्विजय सिंह ने महारूद्रयाग करवाया। 13 मई 1965 को सोमनाथ मंदिर में कलश प्रतिष्ठा की गई और कौशेय ध्वज को लहराया गया।


 

इस पूरे विवाद पर काशी के विद्वान ज्योतिषाचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ से सवाल पूछे गए. और उन्होंने तथ्यों के साथ पूरा विवाद खत्म कर दिया. पहला सवाल पूछा गया कि क्या अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा शास्त्र सम्मत है? इस सवाल का जवाब श्री वल्लभराम शालिग्राम साङ्गवेद विद्यालय, वाराणसी के   परीक्षाधिकारी मंत्री ज्योतिषाचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने विस्तार से दिया. उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा दो प्रकार से होती है. पहला- जब मंदिर पूर्ण हो जाए और दूसरा जब मंदिर का निर्माण जारी हो.

आचार्य द्रविड़ ने बताया कि अगर किसी मंदिर के द्वार नहीं बन जाते और जब तक मंदिर ढका नहीं जाता तब तक प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो सकती. लेकिन राम मंदिर का प्रथम तल बनकर तैयार है. वहां दरवाजे भी लग गए हैं और गर्भगृह भी ढका है. आचार्य ने ये भी साफ किया कि प्राण प्रतिष्ठा से पहले वास्तुशांति होगी. साथ ही बलिदान और ब्राह्मण भोज भी होगा. ऐसे में प्राण प्रतिष्ठा पूरी तरह शास्त्र सम्मत है.

अब एक और सवाल बार बार उठाया जा रहा है कि अयोध्या के भव्य राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी की तारीख ही क्यों चुनी?

उन्होंने बताया कि 22 जनवरी को पौष शुक्ल द्वादशी सोमवार को सर्वोत्तम मुहूर्त है. इसीलिए ये दिन चुना गया. 22 जनवरी 2024 से पहले गुणवत्तर लग्न नहीं मिलता और गुरु वक्री होने से दुर्बल है इसीलिए प्राण प्रतिष्ठा के लिए यही तारीख श्रेष्ठ है. इसके अलावा गुरु की दृष्टि पंचम, सप्तम, नवम होने से उत्तम मुहूर्त है. बलिप्रतिपदा को मंगलवार है और इस दिन गृह प्रवेश वर्जित होता है, अनुराधा नक्षत्र में घटनाक्रम की शुद्धि नहीं है. 25 जनवरी पौष शुक्ल को मृत्युबाण यानी उत्तम दिन नहीं है. माघ-फाल्गुन में बाणशुद्धि नहीं तो कहीं पक्ष शुद्धि नहीं है इसीलिए 22 जनवरी की प्राण प्रतिष्ठा के लिए सर्वोत्म है

कई लोगों ने ये भी सवाल उठाए थे कि जब रामनवमी अप्रैल में है तो उसी दिन प्राण प्रतिष्ठा क्यों नहीं की गई. इसका जवाब भी पंडिय गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने दिया है. उन्होंने कहा है 14 मार्च से खरमास शुरू हो रहा है जिसमें शुभ कर्म वर्जित होते हैं. रामनवमी 17 अप्रैल को मेषलग्न पापाक्रांत है. इसीलिए प्राण प्रतिष्ठा के लिए सभी चीजों को ध्यान में रखकर 22 जनवरी का दिन तय किया गया.